निजरि अप्प सुबिहान दोहे का अर्थ

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Hey guys! आज हम एक बहुत ही सुंदर और गहरे दोहे की बात करेंगे: निजरि अप्प सुबिहान। बोलि आलम अप लिन्नौ ॥ हथ्य अप्पि दस तक्क । बत्त पुच्छी दुष सुष बर॥ यह दोहा बहुत ही खास है और इसमें जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया गया है। तो चलो, बिना किसी देरी के, इस दोहे के अर्थ को समझते हैं और देखते हैं कि यह हमें क्या सिखाता है!

दोहे का संदर्भ

दोस्तों, इस दोहे को समझने से पहले, हमें इसके संदर्भ को जानना जरूरी है। यह दोहा एक आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से लिखा गया है। इसमें जीवन, मृत्यु, सुख, दुख और मानवता के बारे में गहरे विचार व्यक्त किए गए हैं। इस दोहे का हर शब्द बहुत सोच-समझकर चुना गया है, ताकि यह कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह सके। तो, आइए अब हम इस दोहे के हर पंक्ति का अर्थ समझते हैं।

पंक्ति 1: निजरि अप्प सुबिहान। बोलि आलम अप लिन्नौ ॥

पहली पंक्ति है: निजरि अप्प सुबिहान। बोलि आलम अप लिन्नौ ॥ इस पंक्ति में ‘निजरि’ का अर्थ है देखना या निरीक्षण करना। ‘अप्प’ का अर्थ है अपना या स्वयं। ‘सुबिहान’ का अर्थ है सुबह या सवेरा। ‘बोलि’ का अर्थ है बोलना या कहना। ‘आलम’ का अर्थ है संसार या दुनिया। और ‘लिन्नौ’ का अर्थ है लेना या प्राप्त करना।

इस पंक्ति का पूरा अर्थ यह है कि सुबह के समय अपने आप को देखो और दुनिया से सीखो। यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि हमें हर सुबह अपने आप को देखना चाहिए, अपने अंदर झांकना चाहिए, और यह सोचना चाहिए कि हमने कल क्या किया और आज हमें क्या करना है। हमें दुनिया से भी सीखना चाहिए, क्योंकि दुनिया एक बहुत बड़ी पाठशाला है और हर दिन हमें कुछ नया सिखाती है।

आत्म-निरीक्षण का महत्व

दोस्तों, आत्म-निरीक्षण बहुत जरूरी है। जब हम हर सुबह अपने आप को देखते हैं, तो हमें अपनी गलतियों का पता चलता है और हम उन्हें सुधारने की कोशिश करते हैं। हमें अपनी अच्छाइयों का भी पता चलता है और हम उन्हें और बढ़ाने की कोशिश करते हैं। आत्म-निरीक्षण हमें बेहतर इंसान बनाता है। यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करता है।

दुनिया से सीखने का महत्व

गाइज़, दुनिया एक बहुत बड़ी किताब है। इसमें हर तरह के लोग हैं, हर तरह की चीजें हैं, और हर तरह की घटनाएं हैं। हमें इस किताब को पढ़ना चाहिए और इससे सीखना चाहिए। दुनिया हमें सिखाती है कि कैसे जीना है, कैसे काम करना है, और कैसे दूसरों के साथ व्यवहार करना है। दुनिया हमें सफलता और असफलता दोनों के बारे में सिखाती है। इसलिए, हमें हमेशा दुनिया से सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए।

पंक्ति 2: हथ्य अप्पि दस तक्क । बत्त पुच्छी दुष सुष बर॥

दूसरी पंक्ति है: हथ्य अप्पि दस तक्क । बत्त पुच्छी दुष सुष बर॥ इस पंक्ति में ‘हथ्य’ का अर्थ है हाथ। ‘अप्पि’ का अर्थ है देना या अर्पण करना। ‘दस’ का अर्थ है दस। ‘तक्क’ का अर्थ है तक या तकदीर। ‘बत्त’ का अर्थ है बात या वचन। ‘पुच्छी’ का अर्थ है पूछना। ‘दुष’ का अर्थ है दुख। ‘सुष’ का अर्थ है सुख। और ‘बर’ का अर्थ है वरदान।

इस पंक्ति का पूरा अर्थ यह है कि अपने हाथों से दस चीजें दो और दुख-सुख के बारे में पूछो। यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि हमें दूसरों को दान देना चाहिए और उनके दुख-सुख के बारे में पूछना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए।

दान का महत्व

दोस्तों, दान देना बहुत अच्छा काम है। जब हम दूसरों को दान देते हैं, तो हम उनकी मदद करते हैं और उन्हें खुशी देते हैं। दान देने से हमें भी खुशी मिलती है। दान देने से हमारे कर्म अच्छे होते हैं और हमें पुण्य मिलता है। इसलिए, हमें हमेशा दान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।

दूसरों के दुख-सुख के बारे में पूछने का महत्व

गाइज़, दूसरों के दुख-सुख के बारे में पूछना भी बहुत जरूरी है। जब हम दूसरों के दुख-सुख के बारे में पूछते हैं, तो हम उन्हें यह दिखाते हैं कि हम उनकी परवाह करते हैं। इससे लोगों के बीच प्यार और सद्भाव बढ़ता है। दूसरों के दुख-सुख में शामिल होने से हमें भी अच्छा लगता है।

दोहे का समग्र अर्थ

तो दोस्तों, अब हम इस दोहे के समग्र अर्थ को समझते हैं। यह दोहा हमें यह सिखाता है कि हमें हर सुबह अपने आप को देखना चाहिए और दुनिया से सीखना चाहिए। हमें दूसरों को दान देना चाहिए और उनके दुख-सुख के बारे में पूछना चाहिए। यह दोहा हमें एक बेहतर इंसान बनने और एक खुशहाल जीवन जीने का रास्ता दिखाता है।

जीवन में संतुलन का महत्व

यह दोहा हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने का महत्व भी बताता है। हमें अपने आध्यात्मिक और भौतिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के बीच भी संतुलन बनाए रखना चाहिए। जब हम अपने जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं, तो हम खुश और संतुष्ट रहते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण का महत्व

यह दोहा हमें सकारात्मक दृष्टिकोण रखने का महत्व भी बताता है। हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। जब हम सकारात्मक सोचते हैं, तो हम जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और खुश रहते हैं।

दोहे से प्रेरणा

गाइज़, यह दोहा हमें बहुत प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन को कैसे जीना चाहिए। यह हमें सिखाता है कि हमें कैसे बेहतर इंसान बनना चाहिए। यह हमें सिखाता है कि हमें कैसे खुश रहना चाहिए। इसलिए, हमें इस दोहे को हमेशा याद रखना चाहिए और इसके अनुसार अपना जीवन जीना चाहिए।

दैनिक जीवन में दोहे का उपयोग

दोस्तों, हम इस दोहे को अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग कर सकते हैं। हम हर सुबह इस दोहे को पढ़ सकते हैं और इसके अर्थ पर विचार कर सकते हैं। हम इस दोहे के अनुसार अपने कार्यों को कर सकते हैं। हम दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार कर सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं। इस तरह, हम इस दोहे के संदेश को अपने जीवन में उतार सकते हैं।

निष्कर्ष

तो, दोस्तों, हमने आज इस खूबसूरत दोहे का अर्थ समझा। यह दोहा हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताता है। यह हमें सिखाता है कि हमें कैसे जीना चाहिए, कैसे काम करना चाहिए, और कैसे दूसरों के साथ व्यवहार करना चाहिए। उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आपको इस दोहे का अर्थ समझ में आ गया होगा। अगर आपके कोई सवाल हैं, तो आप मुझसे पूछ सकते हैं। धन्यवाद!

याद रखिए, दोस्तों, जीवन एक अनमोल उपहार है, और हमें इसे पूरी तरह से जीना चाहिए!